कामदा एकादशी चैत्र शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत ब्रह्महत्या जैसे पापों आदि दोषों से मुक्ति दिलाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सुहागन स्त्रियां यदि कामदा एकादशी का व्रत रखती हैं तो वह अखंड सौभाग्यवती रहती हैं।
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कामदा एकादशी बाकी दूसरे एकादशी से ज्यादा महत्व रखती है, कहा जाता है कि इस दिन हर मंगलमय कार्य पूर्ण होता है।
मान्यता यह भी है कि इस व्रत को यदि विधि पूर्वक किया जाए तो सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और राक्षस जैसी योनि से मुक्ति मिल जाती है। यह भी कहा जाता है कि कामदा एकादशी के बराबर कोई दूसरा व्रत नहीं है और इसकी कथा पढ़ने या सुनने से लाभ पहुंचता है।
कामदा एकादशी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए और अन्य का एक अंश भी पेट में ना रहे यह सुनिश्चित करना चाहिए।
भगवान विष्णु जी को भोग लगाते समय भोग में तीखी चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और भगवान को सादा भोगी लगाना चाहिएतथा तथा मीठे पकवान अवश्य रखने चाहिए।
कामदा एकादशी के दिन भूलकर भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन चावल का सेवन करते हैं वह अगले जन्म में रेंगने वाले जीव के रूप में जन्म लेते हैं।
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